


इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष के कारण ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं। अगर यह बढ़ोतरी कुछ समय के लिए नहीं रही, तो कुछ कंपनियों को नुकसान हो सकता है। खासकर उन कंपनियों को जो कच्चे तेल से सामान बनाती हैं या उससे जुड़े सामान का इस्तेमाल करती हैं।
कच्चे तेल की बढ़ती कीमत का भारत में भी असर दिखाई दे सकता है। कच्चा तेल रिफाइन करने वाली, पेंट बनाने वाली, हवाई जहाज, गाड़ियां, पेट्रोकेमिकल और खाद बनाने वाली कंपनियों पर इसका असर पड़ सकता है। हालांकि तेल निकालने वाली कंपनियों और इलेक्ट्रिक गाड़ियां (EV) बनाने वाली कंपनियों को फायदा हो सकता है। यह सरकार की नीतियों पर निर्भर करेगा।
ये झटके लग सकते हैं भारत को
महंगे हो सकते हैं तेल और गैस
ओएनजीसी और ऑयल इंडिया जैसी कंपनियां घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल को ग्लोबल बेंचमार्क से जुड़ी कीमतों पर बेचती हैं। तेल की कीमतें बढ़ने से उनकी कमाई बढ़ सकती है। हालांकि, इसका असर उनकी आय और मुनाफे पर सरकार के रुख पर निर्भर करेगा। अगर कंपनियों को नुकसान होता है तो वह तेल और गैस की कीमतें बढ़ा सकती हैं। इसका असर आम लोगों पर पड़ेगा।
हवाई सफर के लिए ज्यादा पैसे
हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाला ईंधन (ATF) कच्चे तेल से बनता है। यह एक एयरलाइन के खर्च का एक तिहाई से ज्यादा होता है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से ईंधन का खर्च बढ़ जाएगा, जिससे एयरलाइंस के मुनाफे पर दबाव पड़ेगा। एयरलाइंस किराए बढ़ाकर इसकी भरपाई करने की कोशिश कर सकती हैं। इसका असर यात्रियों पर पड़ेगा और उन्हें टिकट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी।
पेंट कंपनियों का मुनाफा होगा कम
एशियन पेंट्स, बर्जर पेंट्स और कंसाई नेरोलैक जैसी पेंट कंपनियां कच्चे तेल से बनने वाले सॉल्वैंट्स और रेजिन पर निर्भर करती हैं। ये उनकी कुल लागत का लगभग 50% होता है।
कच्चे माल की दिक्कत
नेफ्था, इथेन, प्रोपेन और अन्य कच्चे तेल के डेरिवेटिव प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर, सॉल्वैंट्स और कई तरह के केमिकल्स बनाने के लिए जरूरी हैं। कच्चे माल की लागत केमिकल और पेट्रोकेमिकल कंपनियों की कुल आय का लगभग आधा होती है।